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Thursday, July 7, 2011

सचाई

मै तो उड़ने लगा था झूठे दिखावे की हवा मे

सुना है वो अभी भी सचाई की पतंग उडाता है ||

जवान हो गयी होगी एक और बेटी, इसीलिए आया होगा

वरना कही पैसे वाला भी कभी गरीब के घर जाता है ||

वो परदेश गया तो बस एक थाली लेकर जिस मे माँ परोसती थी

बहुत पैसे वाला हो गया है पर सुना है अभी भी उसी थाली मे खाता है ||

सुनते थे वक्त भर देता है हर एक जख्म को

जो जख्म खुद वक्त दे, भला वो जख्म भी कभी भर पाता है ?||

आशीष १२:११ ऍम ०७०५११

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