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Monday, July 4, 2011

पगली गलिया

बचपन गुजर गया तो क्या हुआ
याद वो पगली गलिया अब भी आती है ||
क्यों ना हो जाये फिर से वो ही धमाल
वो ही मौसम है वो ही उत्साह है और वो ही साथी है ||
कल जो काटा था आखरी पेड कारखाना बनाने के लिए
देखते है उस पर से बेघर हुई चिड़िया अब कहाँ घर बनती है ||
वो गरीब जिसने एक टुकड़ा भी बाट कर खाया
ईमानदारी उस के घर भूखे पेट सो जाती है ||
बरसों से रोशन कर रही है जो देश को, शहीदों की चिता पर जली थी
सुना है इस दिये मे वो ही बाती है ||

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