मै तो उड़ने लगा था झूठे दिखावे की हवा मे
सुना है वो अभी भी सचाई की पतंग उडाता है ||
जवान हो गयी होगी एक और बेटी, इसीलिए आया होगा
वरना कही पैसे वाला भी कभी गरीब के घर जाता है ||
वो परदेश गया तो बस एक थाली लेकर जिस मे माँ परोसती थी
बहुत पैसे वाला हो गया है पर सुना है अभी भी उसी थाली मे खाता है ||
सुनते थे वक्त भर देता है हर एक जख्म को
जो जख्म खुद वक्त दे, भला वो जख्म भी कभी भर पाता है ?||
आशीष १२:११ ऍम ०७०५११