दूरिया रिश्तो मे मुझे कुछ रास ना आयी ||
जहां पकड़ कर चला था उंगली पापा की
देख कर बरसो बाद वो जगह, आंखे भर आयी ||
मरते है उस पर अब भी सब, वो चाँद है तो होने दो
जिन रातो मे वो चमकता था मै रूठा तो मुझे मनाने वो राते आयी ||
बरसो बाद लौट कर परदेश से आते हुए जो शाल माँ के लिए लाया था
देख कर फूटपाथ पर नंगा बच्चा और उस की माँ
मरी तहजीब चुपके से उसे, उनके हाथ पर रख आयी ||
वो जो हिरन का बच्चा पहुँच गया शेर की गुफा मे पानी की तलाश मे
देख कर उसे उसकी माँ खुद ही शेर की मांद मे घुस आयी ||
याद है मुझे वो दुश्मन जिसने तुफानो मे सभाला था मुझको
दोस्त के दरवाजे पर पहुचा तो किसने की थी शाजिश ये आवाज आयी ||
ASHISH 28june 2011